प्रागैतिहासिक काल के बारे में सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में: क्या आप प्रागैतिहास काल के बारे में सम्पूर्ण जानकारी जानते हैं? अगर नहीं जानते तो इस लेख में प्रागैतिहासिक काल के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान कर रहे हैं. प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि में प्रागैतिहासिक काल बहुत महत्वपूर्ण विषय है, इस विषय से अनेक प्रश्न बनते हैं.
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प्रागैतिहासिक काल को ही पाषणकाल अथवा पाषाण युग कहते हैं क्योंकि प्रागैतिहासिक काल में मानवों का जीवन पत्थरों पर आधारित था. मानव का अधिकतम जीवन प्रागैतिहासिक काल अथवा पाषाण युग में व्यतीत हुआ है.
आज के लेख ‘प्रागैतिहासिक काल नोट्स पीडीएफ हिंदी में (Prehistoric period of India in Hindi PDF)’ में प्रागैतिहासिक काल के बारे में सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में सरल शब्दों में दिया गया है. प्रागैतिहासिक काल को अच्छी तरह समझने के लिए इस लेख को अंत तक आराम से पढ़ें. लेख के अंत में प्रागैतिहासिक काल नोट्स पीडीएफ हिंदी में (Prehistoric period of India in Hindi PDF) का डाउनलोड लिंक दिया गया है. प्रागैतिहासिक काल पीडीएफ डाउनलोड करके रखें व अपने दोस्तों को शेयर करें.
विषय सूची
प्रागैतिहासिक काल के बारे में सम्पूर्ण जानकारी हिन्दी में
वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति आज से लगभग 400 करोड़ वर्ष यानि 4 अरब वर्ष पहले हुई थी। पृथ्वी की उत्पत्ति के कई वर्षों तक मानव जीवन का अस्तित्व नहीं रहा। भारत में मानवों का अस्तित्व आज से लगभग 20 लाख वर्ष पहले हुआ था, जिनमें कई सदी तक कोई व्यापक प्रभाव नहीं पड़ा। वे जंगलों में रहते और जानवरों का शिकार करके उनके मांस कच्चा खाते थे।
धीरे-धीरे उनमें कई तरह के बदलाव आये, जिससे उनके कई क्रियाकलाप को सुगम बनाया। इस लेख में हम प्राचीन भारत का इतिहास के अंतर्गत प्रागैतिहासिक काल के बारे में स्टेप बाई स्टेप जानकारी जानेंगे, जिससे याद करने और समझने में आसानी हो।
प्राचीन भारत का इतिहास का वर्गीकरण (Classification of history of ancient India)
- प्रागैतिहासिक काल
- आद्यैतिहासिक काल
- ऐतिहासिक काल।
1. प्रागैतिहासिक काल (Prehistoric time)
2. आद्यैतिहासिक काल (Prehistoric period )
3. ऐतिहासिक काल (Historical period)
पाषाण युग किसे कहते हैं? पाषाण युग के कितने प्रकार हैं?
मानवों का पृथ्वी पर उत्पत्ति के कई वर्षों तक उनका अनेक क्रियाकलाप पाषाणों यानि पत्थरों पर टिका हुआ था। आदि मानव ज्ञानी मानव अथवा आधुनिक मानव (होमोसेपियंस) 36000 ई.पू. में बने। देखा जाये तो मानव सबसे अधिक समय पाषाण युग/प्रागैतिहासिक काल में व्यतीत किया है। पाषाण युग प्राचीन भारत के इतिहास का महत्पूर्ण हिस्सा है। आइये इनके प्रकारों को समझते हैं।
पाषाण युग को मानव जीवन के उपयोग में लाई जाने वाली पत्थरों के आकार, प्रकार और क्रियाकलापों में बदलाव के अनुसार विभाजित किया गया है, जो निम्नलिखित है –
- पुरापाषाण काल
- मध्यपाषाण काल
- नवपाषाण काल।
1. पुरापाषाण काल किसे कहते हैं ? पुरापाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं –
- पूर्व पुरापाषाण काल
- मध्य पुरापाषाण काल
- उच्च पुरापाषाण काल।
पुरापाषाण काल में मानव पूर्णतः शिकार पर निर्भर था। वे टेढ़े-मेढ़े पत्थरों को कुछ हद तक औजार की आकृति देकर उसका उपयोग शिकार करने में, जानवरों का खाल उतारने में तथा पेड़ों के छाल निकालने में करते थे। शिकार करके जानवरों के मांस को और जंगलों से प्राप्त फलों को इकठ्ठा करके रखते थे इसलिए इसे आखेटक (शिकारी) और संग्राहक कहते हैं।
- हमनोरा में मानव खोपड़ी के सबूत मिले हैं।
- इसी प्रकार भीमबेटका जोकि नर्मदा घाटी में स्थित है, में प्राचीनतम चित्रकारी के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं जो तीनों काल के मालूम पड़ते हैं।
- मिर्जापुर जोकि उत्तर प्रदेश में स्थित है, में तीनों काल के औजार प्राप्त हुए हैं।
2. मध्यपाषाण काल के बारे में सम्पूर्ण जानकारी, मध्यपाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं –
लगभग 8000 ईसा पूर्व से 4000 ईसा पूर्व के समय को मध्यपाषाण काल में रखा जाता है। इस काल में भी पत्थरों से बनी औजारों का व्यापक इस्तेमाल होता था। पुरापाषाण काल और मध्यपाषाण काल में मिले पत्थरों के औजारों में कुछ भिन्नता देखने को मिलती है। इस काल में मिले पत्थर के औजार पुरापाषाण काल की तुलना में अधिक परिष्कृत, सुदृढ़ और आकृतिनुमा थी।
मध्यपाषाण काल में भी मानव आखेटक और संग्राहक के तौर पर जीवन यापन करते थे। वैसे तो आग का आविष्कार पुरापाषाण युग में हो चुका था लेकिन इसका प्रयोग करना मध्यपाषाण काल में सीखे। मध्यपाषाण काल में पशुपालन की शुरुआत हो चुकी थी लेकिन ज्यादा प्रचलन में नहीं था।
मध्यपाषाण काल के महत्वपूर्ण औजार (Important tools of Monolithic period) : वेधनी, खुरचनी जैसे सूक्ष्म आकार के पत्थर औजार, जिसे माइक्रोलिथ (छोटे-छोटे आकार के पत्थर) कहा जाता है। मध्यपाषाण काल को माइक्रोलिथ काल या युग भी कहा जाता है। इस काल में नुकीले पत्थरों का प्रयोग फेंककर जानवरों को शिकार करने में होता था।
मध्यपाषाण काल के महत्वपूर्ण पुरास्थल (Important archaeological sites of the Monolithic period): चौपानीमांडो (उत्तर प्रदेश), बागौर (राजस्थान), आदमगढ़ (मध्यप्रदेश),
- चौपानीमांडो उत्तर प्रदेश में स्थित है। यहाँ सर्वप्रथम मृदभांड के सबूत मिले हैं। मृदभांड का मतलब मिट्टी के बर्तन।
- बागौर राजस्थान में स्थित है तथा आदमगढ़ मध्यप्रदेश में स्थित है। इन दोनों जगह पर पशुपालन के साक्ष्य मिले हैं। जोकि पहला पालतू पशु कुत्ता था। हालाँकि पशुपालन का व्यापक रूप से प्रयोग नवपाषाण काल में हुआ था।
3. नवपाषाण काल के बारे में सम्पूर्ण जानकारी, नवपाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं –
लगभग 4000 ईसा पूर्व से 1800 ईसा पूर्व का समय नवपाषाण काल कहलाता है। नवपाषाण काल में मानव अपने जीवन के लिए अनेक क्रियाकलाप के आविष्कार कर चुके थे। नवपाषाण काल के प्रमुख आविष्कार कृषि, पशुपालन, पहिये आदि हैं।
इस काल में मानव कृषि करना सीख गया था इसलिए उन्हें इधर-उधर घुमने के बजाए एक जगह निवासरत होने आवश्यकता महसूस हुई। इसलिए नवपाषाण काल में मानव कच्चा मकान बनाकर रहना प्रारम्भ किया। चूँकि कच्चे मकानों की सुरक्षा और कृषि स्थल की सुरक्षा जरूरी थी इसलिए कुत्ता को अपना पालतू पशु बनाया, जो उन्हें सुरक्षा के साथ-साथ शिकार में भी मदद करता था।
चूँकि मानव कृषि कार्य करने लगे थे तो ऐसे में उनके सामानों और उपज को खेत से घर लाने और एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए पहिये का आविष्कार किया।
नवपाषाण काल के महत्वपूर्ण औजार (Important tools of Neolithic period): सेल्ट कुल्हाड़ी, हड्डी की सुई।
सेल्ट कुल्हाड़ी अर्थात पत्थर के बने कुल्हाड़ी नुमा आकृति का जानवरों के हड्डी से बंधा हुआ औजार। कुल्हाड़ी का प्रथम साक्ष्य नवपाषाण युग में मालूम पड़ता है।
नवपाषाण काल के महत्वपूर्ण पुरास्थल (Important places of Neolithic Periods): बुर्जहोम (कश्मीर), मेहरगढ़ (पाकिस्तान के बलूचिस्तान), गुफाकराल (कश्मीर), चिरांद(बिहार), कोल्डीहवा (उत्तर प्रदेश),
- बुर्जहोम कश्मीर में स्थित है। यहाँ मानव के गर्तवास करने का प्रमाण मिले हैं। गर्तवास का मतलब गुफानुमा गड्ढे खोदकर जमीन के अंदर निवास करना। इसके अलावा कब्र में मालिक के साथ कुत्ते को दफनाने के प्रमाण मिले हैं।
- मेहरगढ़ पाकिस्तान के बलुकिस्तान के मैदानी इलाका में स्थित है। मेहरगढ़ से कृषि के सर्वप्रथम साक्ष्य मिले हैं।
- चिरांद पुरास्थल बिहार में स्थित है। चिरांद से हड्डी से बंधा हुआ पत्थर के कुल्हाड़ी नुमा औजार मिले हैं।
- कोल्डीहवा उत्तर प्रदेश में स्थित हैं, यहाँ से चावल के सर्वप्रथम साक्ष्य मिले हैं।
ये तो रही प्रागैतिहासिक काल में पाषाण काल के बारे में सम्पूर्ण जानकारी। अगर आपको यह विस्तृत महत्वपूर्ण जानकारी पसंद आई हो तो इसे शेयर जरूर करें। अगर सुझाव अथवा सवाल हो तो नीचे कमेंट करके पूछें।
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