नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के फायदे व नुकसान: इस लेख हम नई शिक्षा नीति के फायदे और नुकसान दोनों एक एक करके जानेंगे.
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के फायदे
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनेक फायदे हैं जो इस प्रकार है
- A. छात्र अब बोर्ड परीक्षा से नहीं डरेंगे
- B. मातृभाषा व क्षेत्रीय भाषाओं को महत्व
- C. कॉलेज छोड़ने वालों को फायदा
- D. छात्र बनेंगे आत्मनिर्भर
A. छात्र अब बोर्ड परीक्षा से नहीं डरेंगे
NEP 2020 में बोर्ड परीक्षाओं के महत्व को कम किया जाएगा। इसमें रटी रटाई वाक्य के बदले वास्तविक व व्यवहारिक ज्ञान की परख की जाएगी। छात्र को रटने के बजाय अपने हिसाब से उत्तर लेखन करने पर उन्हें अच्छे अंक दिए जाएंगे। (बोर्ड परीक्षा के महत्व को कम करने की विस्तृत जानकारी पॉलिसी में दी गई है, अभी तक पॉलिसी की पीडीएफ उपलब्ध नहीं हो पाई है, उपलब्ध होने पर अपडेट करूँगा)।
B. मातृभाषा व क्षेत्रीय भाषाओं को महत्व
NEP 2020 में क्षेत्रीय भाषाओं को ज्यादा महत्व दिया गया है। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि बच्चे मातृभाषा में चीजों को अधिक स्पष्ट तरीके से समझ सकते हैं। इसका फायदा ग्रामीण अंचल के छात्रों को होगा जिनका बाहरी भाषा में अच्छी पकड़ नहीं होती।
C. कॉलेज छोड़ने वालों को फायदा
ऐसे कई छात्र हैं जो आर्थिक कारण से अथवा अन्य कारणों से महाविद्यालय छोड़ देते हैं। अगर ऐसे छात्र 1 साल या 2 साल बाद परीक्षा उत्तीर्ण करके महाविद्यालय छोड़ते हैं तो भी उन्हें प्रमाण पत्र और डिप्लोमा मिलेगा, उनका 2 वर्ष बर्बाद नहीं होगा।
D. छात्र बनेंगे आत्मनिर्भर
अब छात्र कक्षा छठवीं से ही कोडिंग और प्रोग्रामिंग सीखना प्रारंभ कर देंगे। छात्र प्रोग्रामिंग और टेक्नोलॉजी से जुड़े रहेंगे और उनमें डिजिटल पहलुओं को समझने की क्षमता बढ़ेगी। चूंकि आज की टेक्नोलॉजी युग में प्रोग्रामिंग व कंप्यूटर ज्ञान अर्जित कर अच्छी आमदनी पा सकते हैं जिससे वे निश्चित रूप से आत्मनिर्भर बनेंगे।
(ऐसे और भी कई फायदे हैं जिसे पिछले अध्याय में बता दिया गया है।)
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के नुकसान
- A. शिक्षक बनने में कठिनाई
- B. शिक्षा सत्र से 1 वर्ष पीछे
- C. वर्ष में दो बार परीक्षा बनेगा सिरदर्द
- D. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में पढ़े छात्रों को नुकसान
- E. सरकारी नौकरी मिलने की संभावना होगी कम
A. शिक्षक बनने में कठिनाई
NEP 2020 के लागू होने के उपरांत शिक्षक बनने में कठिनाई हो सकती है क्योंकि कहा गया है कि शिक्षकों की भर्ती साक्षात्कार के माध्यम से ली जाएगी। लिखित परीक्षा के साथ-साथ अब अतिरिक्त साक्षात्कार परीक्षा भी उत्तीर्ण करनी होगी।
ऐसे में जो अभ्यर्थी ग्रामीण क्षेत्र से होंगे उनको शिक्षक बनने में अर्थात साक्षात्कार उत्तीर्ण करने में दिक्कत हो सकती है। ऐसा इसलिए कह रहा हूं कि शहर से दूर दराज के व्यक्ति व्यक्तित्व विकास का कोर्स नहीं किए रहते। उन्हें किसी से बात करते वक्त शरीर की भाषा कैसे व्यक्त करना है इसकी जानकारी नहीं होती। हालांकि इंटरनेट के माध्यम से वे भी व्यक्तित्व विकास में ज्यादा ध्यान देने लगे हैं।
B. शिक्षा सत्र से 1 वर्ष पीछे
जैसा कि कहा गया है कि प्री प्राइमरी कक्षा 3 वर्ष की होगी और इसमें 3 वर्ष की उम्र के बच्चे प्रवेश लेंगे। ऐसे में जब वह 6 वर्ष की उम्र का होगा तब कक्षा प्रथम में प्रवेश लेगा जबकि आज की शिक्षा पद्धति में 5 वर्ष की उम्र होने पर कक्षा प्रथम में प्रवेश मिलता है। इस तरह देखा जाए तो नई शिक्षा नीति 2020 का शिक्षा सत्र 1986 से एक वर्ष पीछा रहेगा, हालांकि कुछ वर्षों बाद सभी सामान्य हो जाएंगे।
C. वर्ष में दो बार परीक्षा बनेगा सिरदर्द
माध्यमिक चरण अथवा सेकेंडरी स्टेज में सेमेस्टर वार परीक्षा व्यवस्था लागू होने की वजह से वर्ष में दो बार परीक्षा देना होगा। अब तक वर्ष में सिर्फ एक ही बार परीक्षा होता था। वर्ष में दो बार परीक्षा होने से शायद छात्रों के मन में परीक्षा को लेकर डर बना रहेगा। प्रतिभाशाली छात्रों के लिए यह व्यवस्था ठीक है किंतु सामान्य से औसत छात्रों के लिए वर्ष में दो बार परीक्षा देना मानसिक तनाव का कारण बन सकता है।
D. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में पढ़े छात्रों को नुकसान
कहीं ना कहीं देखा जाए तो 1986 की शिक्षा नीति के तहत पढ़े छात्रों को नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योंकि नई शिक्षा नीति 2020 बेहद सहज और अनेक लोग उच्च शिक्षा जारी रख सकें इस ओर केंद्रित है। जैसे पीएचडी करने वालों के लिए कई राह आसान कर दिए हैं, स्नातकोत्तर के बाद सीधे पीएचडी करेंगे और तो और पीएचडी के लिए रिसर्चर और सीटें काफी बढ़ा दिया जाएगा।
इसके अलावा एनईपी 2020 के रोजगारपरक शिक्षा की वजह से 1986 की शिक्षा नीति में उत्तीर्ण छात्रों को अब रोजगार के लिए अतिरिक्त मेहनत करनी होगी।
E. सरकारी नौकरी मिलने की संभावना होगी कम
NEP 2020 को पढ़कर यही लग रहा है कि इसके लागू होने के बाद से अधिक से अधिक छात्र उच्च शिक्षा अर्जित करेंगे। चूंकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य GER यानि Gross Enrollment Ratio को बढ़ाना भी है। अगर GER बढ़ेगा तो कई ऐसे छात्र मिलेंगे जिन्होंने उच्च शिक्षा की डिग्री ली हुई होंगी। तो जाहिर सी बात है कि सरकारी नौकरी जैसे स्थाई नौकरियों को पाने के लिए पहले से ज्यादा मशक्कत करनी पड़ेगी।
हालांकि छात्र आत्मनिर्भर जरूर बनेंगे लेकिन जो स्थाई नौकरी चाहते हैं उनके लिए थोड़ी कठिनाई जरूर होगी।
नई राष्ट्रीय नीति 2020 की सभी लेख पढ़ें –
- भाग 1 – नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
- भाग 2 – नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के 5+3+3+4 फॉरमेट की पूरी जानकारी
- भाग 3 – नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में उच्च शिक्षा का पैटर्न
- भाग 4 – नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की जरूरत क्यों?
- भाग 6 – नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने में चुनौतियां और निष्कर्ष
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