नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की जरूरत क्यों, यह जानकारी नीचे के लेख में दी गयी है.
विषय सूची
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की जरूरत क्यों?
- A. जीईआर बढ़ाना
- B. रोजगारपरक शिक्षा की व्यवस्था करना
- C. बच्चों में स्कूल के प्रति लगाव स्थापित करना
- D. बच्चों में बहुआयामी प्रतिभा विकसित करना
A. जीईआर(GER) बढ़ाना
जीईआर यानी Gross Enrollment Ratio (सकल नामांकन अनुपात) मतलब व्यक्ति के पास योग्यता रहकर भी विद्यालय अथवा महाविद्यालय छोड़ देते हैं, इसकी संख्या को पढ़ाई जारी रखने वाले छात्रों की संख्या में से घटा देने पर जीईआर प्राप्त होता है।
मानलो किसी क्षेत्र में आठवीं पास व्यक्तियों की संख्या 100 है उनमें से 60 लोगों ने नौवीं कक्षा में प्रवेश लिया है और बाकी बचे 40 लोग योग्यता होने के बावजूद 9वीं नहीं पढ़े तो ऐसा कहा जाएगा कि उस क्षेत्र की 9वीं कक्षा का जीईआर 60% है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में जीईआर बढ़ाने पर बल दिया गया है। 2018 में जारी आंकड़ों के अनुसार देश की जीईआर लगभग 23% थी जिसे बढ़ाकर 50% करने का लक्ष्य रखा गया है। उच्च शिक्षा में 23% जीईआर का मतलब 12वीं के बाद 100 में से 23 लोग ही महाविद्यालय अथवा विश्विद्यालय में प्रवेश लेते हैं, जिसे 2035 तक 100 में से 50 करने का लक्ष्य है। इसी प्रकार स्कूली शिक्षा के लिए जीईआर 100% करने का लक्ष्य रखा गया है, हालांकि कई राज्य में स्कूली शिक्षा में 100% जीईआर है।
B. रोजगारपरक शिक्षा की व्यवस्था करना
अब तक लागू की गई शिक्षा नीति में रोजगार को लेकर गंभीर मुद्दे नहीं थे। विद्यालयीन शिक्षा व महाविद्यालयीन शिक्षा के बाद क्या करना है, कैसे जीवन यापन करना है इस बारे में हमारी शिक्षा नीति में कोई व्यवस्थित विषय नहीं है। चूंकि NEP 2020 में प्रारंभिक चरण में ही रोजगार से संबंधित कोर्स या विषय रखा गया है जिससे बच्चों में रोजगार की जानकारी रहेगी। इसके अलावा कक्षा छठवीं से ही कोडिंग की पढ़ाई कराई जाएगी जो कि आज की परिस्थिति में टेक्नॉलजी के जमाने में इसकी महती आवश्यकता है।
शुरुआती शिक्षा से ही प्रोग्रामिंग की जानकारी सीख कर बच्चे उच्च शिक्षा में कोडिंग के क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित कर सकते हैं और इसे अपना दैनिक जीवन का व्यवसायिक स्रोत बना सकते हैं।
चूंकि डिजिटल इंडिया की दुहाई देने वाली इस सरकार की मंशा भी शिक्षा संस्थानों में इंटरनेट टेक्नोलॉजी विषय को शामिल करने की थी जिसे मध्य चरण के शिक्षा में शामिल किया गया है।
C. बच्चों में स्कूल के प्रति लगाव स्थापित करना
NEP 2020 में शुरुआती विद्यालयीन जीवन के पहले ही चरण में प्रथम 3 वर्ष तक प्री प्राइमरी फिर कक्षा पहली व दूसरी की व्यवस्था की गई है। प्री प्राइमरी कक्षा में केवल खेल-कूद और मनोरंजन जैसी गतिविधि शामिल हैं। इस दौरान बच्चों को ना तो गृह कार्य दिया जाएगा और ना ही उनसे पढ़ाई लिखाई कराया जाएगा। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि बच्चे का मन स्कूल आने में लगा रहे और वह धीरे-धीरे शिक्षा ग्रहण करने की आदत अपनाएं।
D. बच्चों में बहुआयामी प्रतिभा विकसित करना
जैसा कि माध्यमिक चरण या द्वितीय चरण (Secondary Stage) में स्ट्रीम सिस्टम यानि संकाय व्यवस्था को खत्म कर दिया गया है, जिससे विद्यार्थी कक्षा नवमी से ही अपनी पसंद का विषय चुनने के लिए स्वतंत्र रहेगा, जिससे वह आगे की उच्च शिक्षा की पढ़ाई अपने पसंदीदा विषय पर तो करेगा ही, साथ ही साथ उसे अन्य विषय की गहन जानकारी भी रहेगी जिससे कई क्षेत्रों में एक ही डिग्री व संकाय मात्र से कदम रख सकेगा।
नई राष्ट्रीय नीति 2020 की सभी लेख पढ़ें –
- भाग 1 – नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
- भाग 2 – नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के 5+3+3+4 फॉरमेट की पूरी जानकारी
- भाग 3 – नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में उच्च शिक्षा का पैटर्न
- भाग 5 – नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के फायदे व नुकसान
- भाग 6 – नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने में चुनौतियां और निष्कर्ष
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