अंर्तराष्ट्रीय राजनीति के परम्परागत पद्धति | परम्परावादी दृष्टिकोण

अंर्तराष्ट्रीय राजनीति के परम्परागत पद्धति | परम्परावादी दृष्टिकोण

अंर्तराष्ट्रीय राजनीति के परम्परागत पद्धति | परम्परावादी दृष्टिकोण: अंतरराष्ट्रीय राजनीति के परम्परागत पद्धति अथवा दृष्टिकोण में पूर्व में घटित घटनाओं और दर्शन के क्षेत्र को मूलभूत ढांचा मानकर इस पद्धति का विश्लेषण व परीक्षण किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति के परंपरागत पद्धति में भूत, भविष्य और वर्तमान परिदृश्य को जोड़कर तथ्यों को प्रस्तुत किया जाता है। ऐसा करने से भविष्य और वर्तमान में होने वाली त्रुटियों पर पैनी नजर रखकर उनमें सुधार किया जा सकता है।

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अंर्तराष्ट्रीय राजनीति के परम्परागत पद्धति

इस परम्परागत पद्धति की विशेषता है कि यह विभिन्न देशों की सांस्कृतिक सभ्यताओं को उचित स्थान देकर तथा उनका अध्ययन करके अंतरर्राष्ट्रीय समुदाय में उन देशों की ऐतिहासिक दृष्टिकोण को प्रस्तुत करता है ताकि अन्य देश भी उनसे प्रभावित होकर एक-दूसरे के प्रति सम्बन्ध को आगे बढ़ा सकें।

इस पद्धति में ऐतिहासिक विशेष उपागमों द्वारा दूर-दराज व पड़ोसी देशों के कूटनीतिक संबंधों के बारे में पता चलता है तथा इस आधार पर उनसे राजनीतिक संबंध स्थापित करने में और उनसे व्यापार तथा व्यावसायिक प्रक्रिया को मजबूत पकड़ बनाने में मदद मिलती है। इस प्रकार अंर्तराष्ट्रीय राजनीति के परम्परावादी दृष्टिकोण / पद्धति के माध्यम से अंर्तराष्ट्रीय समुदाय के विभिन्न देशों के साथ अनेक तरीके से संबंध स्थापित करके राष्ट्र की उन्नति में काफी सहयोग मिलती है।

अंतरराष्ट्रीय राजनीति के परम्परागत पद्धति की विशेषता यह है कि इसके गुणों-अवगुणों की तुलना अंतरराष्ट्रीय राजनीति के वैज्ञानिक पद्धति से नहीं की जा सकती क्योंकि वैज्ञानिक पद्धति में उपलब्ध विषय-वस्तु की सत्यापित सार्थकता सिद्ध की जाती है जबकि परम्परागत पद्धति में ऐतिहासिक तथ्यों, दर्शन व नियम-कानून को आधार-स्तंभ माना जाता है।

दुनियाभर के जितने भी देश है, सभी परम्परावादी पद्धति का अनुसरण करते हैं क्योंकि इसमें नैतिक प्रश्नों का समाहार होता है और इसी के माध्यम से एक-दूसरे देश की सम्बन्ध पर प्रभाव पड़ता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन देशों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि ऐसी होती है कि अन्य किसी भी पद्धति का उस पर कोई असर नहीं पड़ता।

हालांकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुए शीत युद्ध के बाद की तृतीय विश्व में शामिल कुछ दक्षिण देश (विकासशील देश) अंर्तराष्ट्रीय राजनीति के परम्परागत पद्धति के इतर वैज्ञानिक पद्धति और यथार्थवादी पद्धति को विशेष स्थान दिया और उनकी अर्थव्यवस्था में भी प्रगति हुई है।

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