रेलवे नार्मलाइजेशन मार्क्स कैसे निकालें | RRB NTPC Group D Exam formula

रेलवे नार्मलाइजेशन मार्क्स कैसे निकालें | RRB NTPC Group D Exam formula

रेलवे नार्मलाइजेशन मार्क्स कैसे निकालें: भर्ती परीक्षाओं में नार्मलाइजेशन एक ऐसा पेचीदा शब्द है जिसका निर्माण वैज्ञानिक पद्धति और सांख्यिकी सूत्रों से हुआ है. रेलवे नार्मलाइजेशन मार्क्स इसी पद्धति से निकालता है.

आजकल लगभग सभी परीक्षाओं नार्मलाइजेशन मार्क्स से अंतिम रिजल्ट निकाला जाता है खासकर केंद्र सरकार के भर्ती परीक्षाओं में. हालाँकि नार्मलाइजेशन मार्क्स का फार्मूला कई प्रकार के होते है, नार्मलाइजेशन के लिए किस फार्मूला का प्रयोग करना है वह विभाग ऊपर निर्भर करता है.

नार्मलाइजेशन के बाद उम्मीदवारों के मार्क्स बढ़ते है तो कभी कम भी हो जाते हैं. नीचे बताए गये नार्मलाइजेशन मार्क्स प्रोसेस फार्मूला से पता चल जायेगा कि नार्मलाइजेशन क्या होता है और रेलवे नार्मलाइजेशन मार्क्स कैसे निकालें जाते हैं..

नार्मलाइजेशन मार्क प्रक्रिया से सम्बंधित मुझे बहुत बहुत सारे ईमेल प्राप्त हुए हैं जिनमें नार्मलाइजेशन को लेकर प्रश्न पूछे गये थे – नार्मलाइजेशन क्या है? नार्मलाइजेशन के प्रकार बताइए, नार्मलाइजेशन का अर्थ क्या होता है? रेलवे नार्मलाइजेशन मार्क्स कैसे प्राप्त करें? एसएससी नार्मलाइजेशन मार्क्स कैसे निकालें? How to find railway normalisation marks ? Normalization क्या है? Normalisation in SSC exam? Normalisation in railway RRB exam? Normalisation process in SSC examination? Normalisation process in RRB examination? Normalisation process in RRB ntpc group d examination? Normalization process in SBI PO Clerk Manager examination? Normalization process in LIC AAO examination? रेलवे नार्मलाइजेशन अंक निकालने का तरीका.

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नार्मलाइजेशन का क्या अर्थ है?

नार्मलाइजेशन का अर्थ है माननीकरण अर्थात् बिना भेदभाव के सर्वमान्य योग्य बनाना. नार्मलाइजेशन से उच्च स्तर व निम्न स्तर के अंकों को नार्मलाइज किया जाता है.

नार्मलाइजेशन क्या है?

यदि कोई परीक्षा अनेक शिफ्ट में होता है तो जाहिर सी बात है कि प्रत्येक शिफ्ट में अलग अलग प्रश्न पूछे जाते हैं. किसी शिफ्ट में सरल प्रश्न होते हैं तो किसी में कठिन प्रश्न, ऐसे में कठिन प्रश्न वाले शिफ्ट में बैठे उम्मीदवारों के कम अंक आएंगे जोकि एक तरह से नाइंसाफी होगी. इसी नाइंसाफी को दूर करने के लिए नार्मलाइजेशन प्रक्रिया का पालन किया जाता है. इसे केवल एक से अधिक शिफ्ट में आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में लागू किया जाता है.

नार्मलाइजेशन मार्क्स किन चीजों पर निर्भर करता हैं?

नार्मलाइजेशन मार्क्स निम्नलिखित पर निर्भर करता हैं –

  • कुल बनाये गये प्रश्न
  • छोड़े गये प्रश्न
  • नेगेटिव अंक
  • एक्यूरेसी प्रतिशत
  • कुल प्राप्तांक
  • सभी शिफ्ट के अंकों का औसत

नार्मलाइजेशन के लाभ

नार्मलाइजेशन से उन्ही उम्मीदवारों को ज्यादा लाभ होता है जो कठिन शिफ्ट में परीक्षा देते हैं और उनका परीक्षा अच्छा गया होता है. अगर कोई उम्मीदवार रेलवे बोर्ड द्वारा नार्मलाइज किये गये कठिन शिफ्ट में परीक्षा देता है और उन्होंने बहुत सारे प्रश्नों का उत्तर दिया है या मान लेते हैं कि उनका यह परीक्षा बहुत अच्छा बना है तो ऐसे उम्मीदवारों को नार्मलाइजेशन का अधिक लाभ मिलता है.

हालाँकि नार्मलाइजेशन से कठिन शिफ्ट के उम्मीदवारों को सरल शिफ्ट के उम्मीदवारों के मुकाबले अधिक लाभ होते हैं व अधिक नार्मलाइज मार्क्स मिलते हैं.

नार्मलाइजेशन के नुकसान

मानलो सभी शिफ्ट में लगभग एक जैसा प्रश्न पूछे जाते हैं लेकिन किसी शिफ्ट में कमजोर उम्मीदवार और किसी शिफ्ट में होशियार मेहनती उम्मीदवार शामिल होते हैं. तो ऐसे में नार्मलाइजेशन के द्वारा कमजोर उम्मीदवारों को ज्यादा लाभ दे दिया जाता है और होशियार उम्मीदवारों को कम लाभ मिलता है या नहीं मिलता.

नीचे मैं रेलवे नार्मलाइजेशन मार्क्स निकालने की प्रोसेस बताऊंगा लेकिन लगभग सभी परीक्षाओं में इसी प्रक्रिया का पालन किया जाता है. इससे आप ऊपर बताए गये नार्मलाइजेशन के लाभ नुकसान के बारे में अच्छी तरह समझ पाएंगे.

रेलवे नार्मलाइजेशन मार्क्स कैसे निकालें | RRB NTPC Group D Exam formula

एक शिफ्ट का औसत अंक सभी उम्मीदवारों के अंकों का औसत अंक सामान्य तरीके से निकाला जाता है, नेगेटिव मार्क्स के साथ. 

उदाहरण – सही उत्तर पर मिलने वाले अंक – गलत उत्तर का अंक – नेगेटिव अंक.

मानलो अजय व विजय एक ही शिफ्ट में परीक्षा दिलाया है जिसमें अजय ने 65 प्रश्न दिया जिसमें 50 सही उत्तर दिए, 15 गलत उत्तर, इस प्रकार नेगेटिव अंक होगा 15/3 = 5. अब अजय का कुल प्राप्तांक होगा = 50-5=45 अंक

विजय ने 51 प्रश्न दिया जिसमें 30 सही उत्तर दिए, 21 गलत उत्तर, इस प्रकार नेगेटिव अंक होगा 21/3 = 7. अब विजय का कुल प्राप्तांक होगा = 30-7=23 अंक

अतः अजय व विजय  के इस शिफ्ट का औसत अंक होगा = 45+23 = 68/2 = 34

अब मान लेते हैं रेलवे का एनटीपीसी & ग्रुप डी परीक्षा पांच शिफ्ट में आयोजित होती है. परीक्षा 100 अंकों की है, जिनमें प्रत्येक शिफ्ट में शामिल कुल उम्मीदवार के औसत अंक निकालने पर कुछ इस तरह के अंक प्राप्त हुए –

  •  1st शिफ्ट का औसत अंक = 55
  •  2nd शिफ्ट का औसत अंक = 87
  •  3rd शिफ्ट का औसत अंक = 76
  •  4th शिफ्ट का औसत अंक = 95
  •  5th शिफ्ट का औसत अंक = 29

इस प्रकार पांच शिफ्ट के औसत अंक 68.5 होगी.

नार्मलाइजेशन अंक के लिए  इन शिफ्टों का निम्न अंक का उम्मीदवारों की एक्यूरेसी प्रतिशत से निकाला जायेगा –

1st शिफ्ट के लिए = 68.05-55 = 13.05

2nd शिफ्ट के लिए = 68.05-87 = -18.05

3rd शिफ्ट के लिए = 68.05-76 = -7.95

4th शिफ्ट के लिए = 68.05-95 = -26.95

5th शिफ्ट के लिए = 68.05-29 = 39.05

अजय के 65 प्रश्न का उत्तर देने के बाद 50 प्रश्न सही हुए, इस प्रकार कुल प्राप्तांक 45 अंक है. इस हिसाब से अजय की एक्यूरेसी प्रतिशत होगी 45/65*100 = 69.23%.

पहले शिफ्ट के हिसाब से अजय का नार्मलाइजेशन मार्क्स होगा = 13.05 का 69.23 प्रतिशत = 9.03

अब अजय की नार्मलाइजेशन पश्चात् मिलने वाला अंक होगा = 45+9.03 = 54.03 अंक

अगर अजय 5th शिफ्ट में परीक्षा दिया रहता तब नार्मलाइजेशन मार्क्स होता: 39.05 का 69.23 प्रतिशत = 27.03

अब अजय की नार्मलाइजेशन पश्चात् मिलने वाला अंक होगा = 45+27.03 = 72.03 अंक

इस प्रकार आप समझ गये होंगे कि कठिन शिफ्ट में अच्छे मार्क्स स्कोर करने वाले उम्मीदवारों को अधिक नार्मलाइजेशन मार्क्स मिलते हैं.

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FAQ related to Normalization-

Q.1 Kya normalisation par accuracy ka asar hota hai?

Answer: Yes, Normalisation par accuracy ka asar hota hai. Agar accuracy percent jyada rhega to normalization marks jyada milenge.

Q.2 Normalisation me kitna number badhta hai?

Answer: normalisation me kitna number badhta hai yah depend karega accuracy percent, average marks of exam shifts, total obtained marks par.

Q.3 Does accuracy matter in normalisation in RRB?

Answer: Yes, accuracy matter in normalisation in RRB. If accuracy is higher then normalization marks will be more.

Q.4 kya SSC CHSL me normalisation hota hai?

Answer: Yes, SSC CHSL me normalisation hota hai.

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